Add To collaction

लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

आज से मैं एक नया सस्पेंस और थ्रिलर धारावाहिक लिखने जा रहा हूं । पहला अंक इस प्रकार है

मंगल सिंह थानेदार अपने ऑफिस में बैठकर अपराधों से संबंधित फाइलें पढ रहा था । आजकल शहर में चोरियों की वारदातें बहुत बढ़ गई थीं । डी सी पी साहब ने कल की मीटिंग में सब थानेदारों को बढ़ती चोरी की घटनाओं को लेकर जोरदार लताड़ लगाई थी और उन्हें सख्त हिदायत भी दी थी कि या तो इन्हें रोकें या अंजाम भुगतने को तैयार रहें । मंगल सिंह इसी सिलसिले में समस्त चोरों का रिकॉर्ड देख रहा था और चोरों को पकड़ने की  स्ट्रेटेजी बना रहा था । 

"थानेदार साहब हैं क्या ? मैं उनसे मिलना चाहती हूं" बाहर से आने वाली एक मधुर आवाज ने मंगल सिंह का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया । उसने झीने परदे में से झांककर देखा तो एक सुंदर सी महिला बाहर खड़ी हुई अर्दली से पूछ रही थी । इतनी खूबसूरत महिला यहां थाने में क्या करने आई है ? उसके शैतान दिमाग में कुछ कुछ चलने लगा । 

"हां, बैठे हैं साहब । क्या काम है आपको" ? अर्दली ने कहा 
"रिपोर्ट लिखवानी है" उसकी मिसरी से मीठी आवाज फिर आई । 
"तो इसमें साहब क्या करेंगे ? साहब कोई रिपोर्ट लिखते हैं क्या ? रिपोर्ट तो सामने वाले कमरे में ड्यूटी इंचार्ज लिखते हैं । ऐसा करो कि आप सामने वाले कमरे में चली जाओ" । अर्दली उसे अंदर नहीं आने दे रहा था । वहीं से टरका रहा था । 

वह महिला बहुत खूबसूरत थी और उसकी आवाज भी बहुत मीठी थी । थानेदार मंगल सिंह तो खूबसूरती का दीवाना था । ऐसी हुस्न परी तो वर्षों की तपस्या के बाद दर्शनों के लिए मिलती है । उसे खूबसूरत महिलाओं से बतियाने , उन्हें येन केन प्रकारेण पटाने की बड़ी गजब की बीमारी थी । उसने सोचा कि आज एक मछली खुद ही कांटे में फंसने आई है । इस मौके का फायदा नहीं उठाया तो फिर मंगल सिंह थानेदार होना बेकार है । एक अर्दली उससे उस सौन्दर्य की मूरत से बतियाने का सुख छीन रहा है । उसे पटाने का अवसर छीन रहा है । नालायक कहीं का ।  थानेदार मंगल सिंह को अर्दली का व्यवहार बहुत बुरा लगा । वह उसे "सौन्दर्य के दर्शन लाभ" करने से वंचित कर रहा था इसलिए उसने जोर से घंटी बजाई । 
"यस सर" अर्दली सैल्यूट मारकर बोला 
"वहां बाहर कौन है और क्या बात है" ? उसने संयम बरतते हुए कहा । 
"साहब, एक औरत है जो रिपोर्ट लिखवाना चाहती है । मैंने उसे ड्यूटी इंचार्ज के कमरे में जाने के लिए कह दिया है" । 
"हम यहां क्या झक मारने के लिए बैठे हैं" ? थानेदार मंगल सिंह ने अर्दली को एक जोरदार घुड़की पिलाई।  फिर कहा "अच्छा, ये बताओ कि क्या वो चली गई या अभी यहीं है" ? 
"यहीं है साहब अभी, आपसे मिलने के लिए कह रही है" । अर्दली घिघियाते हुए बोला । 
"अच्छा ठीक है, अंदर भेज दो उसे । और हां, इस बीच कोई अंदर नहीं आने पाए, यह ध्यानरखना" । 
"जी साहब जी" । अर्दली बाहर चला गया । 

थानेदार मंगल सिंह की जान में जान आई । "थैंक गॉड, वह अभी तक गई नहीं है । अगर चली जाती तो आज इस अर्दली की खैर नहीं थी ? उसके होठों पर एक कुटिल मुस्कान खेलने लगी । 
"मे आई कम इन सर" ? फिर से वही सुरीली आवाज ने उसका ध्यान खींचा । 
मंगल सिंह ने सामने देखा तो एक बहुत खूबसूरत महिला गेट पर खड़ी थी । मंगल सिंह उस हुस्न परी का दीदार कर मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ कि चलो इस सुंदरी के दर्शन तो हुए । परदे में से उसका पूरा हुस्न दिखाई नहीं दे रहा था । अब जब वह सामने ही खड़ी थी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे पूर्णिमा का चंद्रमा बादलों की ओट से निकल आया है और अपनी धवल चांदनी से सबको जीवन दे रहा है । उसका जी करने लगा कि उससे घंटों बातें करता रहे । वह बड़ी नफासत के साथ बोला 
"यस, कम इन । प्लीज सिट डाउन एण्ड टेक ए ग्लास ऑफ वाटर" । उसने उसकी आंखों में देखते हुए कहा । 

वह एक 30-32 साल की बहुत खूबसूरत औरत थी । गोरा रंग , तीखे नैन नक्श और खूबसूरत फिगर । सब कुछ था उसके पास । ये सब चीजें किसी एक औरत के पास हों तो उससे अधिक मालामाल और कौन हो सकता है इस दुनिया में ? उसकी बड़ी बड़ी आंखें नशे की दुकान लग रही थी । मांग में सिंदूर उसके विवाहित होने का प्रमाण दे रहा था । ललाट पर लाल बिंदी गजब ढा रही थी । सच पूछो तो उसकी बिंदी और सिंदूर ने उसके सौन्दर्य में चार चांद लगा दिये थे । मंगल सिंह उसे देखकर मदमस्त हो गया । 

औरतें मर्दों की नजरें बड़ी जल्दी पहचान लेती हैं । उस औरत ने भी मंगल सिंह की नजरों को पढ़ लिया था इसलिए वह छुइमुई की तरह सिमट गई और वहां पर रखी हुई एक कुर्सी पर बैठ गई । नजरें नीची करके वह बोली 
"सर, मेरे घर में आज रात को चोरी हो गई है । उसी की रिपोर्ट लिखाने आई हू" । महिला ने कहा 
"ओह आई सी । कब हुई चोरी ? क्या गया चोरी में" ? 
"चोरी रात में हुई है । समय का मुझे पता नहीं है । अगर चोरी के समय हमारी आंख खुल जाती तो चोरी हो जाती क्या ? हमें तो सुबह ही पता चला । चोरी में मेरा एक पर्स गया है इंस्पेक्टर साहब" । महिला ने उसकी ओर देखकर कहा 
"केवल एक पर्स? और कुछ नहीं ? बड़ा आश्चर्य है । लगता है कि चोर बड़ा शरीफ आदमी था और संतोषी भी ।  अच्छा, क्या क्या था उस पर्स में" ? मंगल सिंह को उससे बातें करने में बड़ा आनंद आ रहा था । उसकी बड़ी बड़ी आंखों में जब वह देखता तो उसे नशा सा चढने लगता था । 
"वैसे तो बहुत कुछ था उस पर्स में जैसा कि हर लेडीज पर्स में होता है । एक तो "एप्पल" का मोबाइल था । कुछ कैश था और बाकी छोटा मोटा सामान था" । मंगल सिंह के प्रश्नों से वह झुंझला गई थी । 
"कितना कैश था" ? 
"यही कोई बीस पच्चीस हजार रुपए थे उसमें" । 
"हूं, ये छोटा मोटा सामान क्या था" ? 
"वही जो महिलाओं का होता है । यानि कि दो चार लिपस्टिक, परफ्यूम , बैंगल्स, बिंदी , नैपकिन्स वगैरह" । 
"यानि घर से और कोई कीमती सामान नहीं गया आपका" ? मंगल सिंह एक एक शब्द चबा चबा कर बोला । 
मंगल सिंह के पूछने और उसे घूरने के तरीकों से उस महिला को लगा कि उसने थाने आकर कोई गलती कर दी है शायद । पर अब तो जो होना था सो हो गया था । अब क्या किया जा सकता था ? वह थोड़ा परेशन होकर बोली 
"जी हां, बस एक पर्स ही चोरी हुआ है । यह बात मैं पहले भी बता चुकी हूं आपको" । उसके चेहरे से क्रोध बरस रहा था । 
"रिलैक्स मैडम रिलैक्स, हम पुलिस वालों का काम ही पूछताछ करना है , इसलिए आप परेशान मत होइये । वैसे भी आपके हसीन चेहरे पर गुस्सा अच्छा नहीं लगता है । जरा मुस्कुराकर बात करिये ना । आपके सुंदर चेहरे पर मुस्कान बड़ी हसीन लगती है । क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं" ? मंगल सिंह उसकी आंखों में झांककर बोला । 

उस महिला को समझ नहीं आया कि वह थानेदार मंगल सिंह की बातों पर खुश होए या उससे गाली गलौज करे । एक मन कह रहा था कि वह उसकी सुंदरता की तारीफें ही तो कर रहा है । यह तो अच्छी बात ही है ना ? इसमें गलत क्या है ? एक मन कहता कि वह फ्लर्ट कर रहा है । ड्यूटी पर फ्लर्ट करते हुए इसे शर्म नहीं आ रही है क्या ? कैसे कैसे पुलिस वाले होते हैं ? पर गरज अपनी है तो इसे झेलना तो पड़ेगा ना । उसने कहा 
"नाम जानकर क्या करेंगे आप" ? 
"आप परिवादी हैं मैम । आपका नाम जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है" मंगल सिंह जोर देकर बोला 
"ओ के । मेरा नाम अनुपमा है" वह धीरे से बोली । 
"अरे वाह ! बहुत प्यारा नाम है ।  वाकई । तभी मैं सोचूं कि आपको मैंने कहीं देखा है । आप शायद प्रसिद्ध धारावाहिक "अनुपमा" की हीरोइन हैं । और अगर नहीं भी हैं तो आप हूबहू अनुपमा जैसी लगती हैं । जैसा नाम वैसा सौन्दर्य,  एकदम अनुपम । जबसे आपके नाम से एक धारावाहिक प्रसिद्ध हुआ है तब से अनुपमा नाम की बाढ सी आ गई है । एक बात कहें, यदि आप बुरा न मानें तो" ? झिझकते हुए मंगल सिंह बोला । 
"जी, कहिए इसमें बुरा मानने की क्या बात है" ? अनुपमा धीरे से बोली । 
"आप बहुत खूबसूरत हैं । शरद पूर्णिमा के चांद की तरह चमकती हुई , बहारों सी महकती हुई और दरिया सी मचलती हुई सौन्दर्य की एक मूर्ति हैं आप" । मंगल सिंह ने अब प्रशस्ति गान आरंभ कर दिया था । 
"जी, इतनी तारीफ के लिए बहुत बहुत धन्यावाद" । 
"अजी तारीफ हमारी क्या , तारीफ तो उस खुदा की है जिसने तुम्हें फुरसत से बनाया है । बताइए क्या लेंगी आप ? कॉफी , चाय या ठंडा" ? मंगल सिंह ने आग्रह पूर्वक पूछा 
"नो थैंक्स" अनुपमा ने टालते हुए कहा । 
"अजी ऐसे कैसे ? कुछ तो लेना ही होगा आपको । नहीं तो मैं अपनी पसंद से मंगवा दूंगा" । मंगल सिंह के शब्दों में ढीठता भरी हुई थी । 
"ओ के । ठंडा मंगवा दीजिए" 
"ये हुई ना बात । बस ऐसे ही सहयोग करते जाइये, आपका काम हो जाएगा" । मंगल सिंह जोर से हंसते हुए बोला 
"जब तक रिपोर्ट लिख लीजिए" । अनुपमा जल्दी से छुटकारा पाना चाहती थी । 
"वो भी लिखवा लेंगे । अभी इतनी जल्दी क्या है" ? 
"मुझे घर जाना है । घर में सारा काम पड़ा हुआ है अभी । फिर मुझे अपना काम भी देखना है" । 
"ओ के । पहले रिपोर्ट लिख लेते हैं आपकी , फिर आराम से बातें करेंगे" । थानेदार मंगल सिंह ने ड्यूटी इंचार्ज को वहीं बुलवा लिया और उससे कह दिया कि वहीं रिपोर्ट लिख ले वह । रिपोर्ट लिखते समय ठंडा भी आ गया । सबने ठंडा पिया । इतने में रिपोर्ट लिख ली गई । 
अब अनुपमा खड़ी हो गई और अपने घर आ गई  । 

(अगले अंक में आप पढेंगे कि चोर कौन है और क्या उसने कोई कत्ल भी किया है ? कहानी बड़ी सस्पेंस से भरी हुई है । आगे के अंकों में आप सस्पेंस और थ्रिल का अद्भुत संगम देखेंगे । कहानी पढकर कमेंट करना भूलिएगा नहीं । धन्यवाद  । ) 

श्री हरि 
1.6.2023 


   18
8 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:20 AM

Nice start

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:35 AM

🙏🙏

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:35 AM

🙏🙏

Reply

Abhinav ji

02-Jun-2023 08:53 AM

Very nice 👍

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

02-Jun-2023 10:46 PM

🙏🙏🙏

Reply